शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

चाणक्य सूत्र # 4

############ ॐ ###############

अतिक्लेशेन ये चार्था धर्मस्यातिक्रमेण तु।
शत्रूणां प्रणिपातेन ते ह्यर्था मा भवंतु में।।

भावार्थ - जिस धन की प्राप्ति दूसरों को क्लेश पहुंचाने या शत्रु के सामने सिर झुकाने से हो वह स्वीकार करने योग्य नहीं है।

############ ॐ ############### 

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