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ये नियुक्तासतुकार्येषफ हन्युः कार्याणि कार्विणामम्
धनोष्मणा पञ्चमानांस्तानिन्स्वान्कारवेन्नृपः।।
भावार्थ-राज्य
द्वारा जो कर्मचारी द्यूत आदि वर्जित पापों को रोकने के नियुक्त किये गये
हैं वह पैसे की लालच में ऐसे पापों को नहीं रोकते तो इसका आशय यह है कि वह
उसे बढ़ावा दे रहे हैं। इसलिये उनको पद से हटाकर उनका सभी कुछ छीन लेना
चाहिये।
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