‘जाति जनमु नह पूछीअै, सच घर लेहु बताई।
सा जाति सा पति है, जेहे करम होई।।’
भावार्थ-किसी की जाति या जन्म के बारे में न पूछें। सभी एक ही सर्वशक्तिमान के घर से जुड़े हुए हैं। आदमी की जाति और समाज (पति) वही है जैसे उसका कर्म है।
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‘नीचा अंदरि नीच जाति, नीची हू अति नीचु।
नानक तिल कै संगि साथि, वडिआ सिउ किआ रीस।
जिथै नीच समालिअन, तिथे नदर तेरी बख्सीस।
भावार्थ-जे नीच से भी नीच जाति का है हम उसके साथ हैं। बड़ी जाति वालों से होड़ करना व्यर्थ है बल्कि जहां गरीब, पीड़ित और निचले वर्ग के व्यक्ति की सहायता की जाती है वहीं सर्वशक्तिमान की कृपा बरसती है।
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