मंगलवार, 30 मार्च 2010

श्री गुरु हनुमान स्तुति

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श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार।।

############ ॐ ###############

प्रनवउं पवन कुमार खल बन पावक ग्यानघन |
जासु ह्रदय आगार बसहिं राम सर चाप धर ||

############ ॐ ###############

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम
दनुजवनकृशानुम ग्यानिनामग्रगण्यम |
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||

############ ॐ ###############

मनोजवं मारुततुल्यंवेगम जितेन्द्रियं बुद्धि मतं वरिष्ठं |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यम श्रीरामदूतं शरणम प्रपद्ये ||

############ ॐ ###############

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

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निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥

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लाल देह लाली लसे अरू धरि लाल लँगूर।
बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर॥

############ ॐ ###############

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