मंगलवार, 1 जून 2010

विदुर नीति # 2

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द्वाविमौ कपटीकौ तीक्ष्णी शरीरपरिशोषिणी।
पश्चाधनः कामयते यश्च कुप्यत्यनीश्वरः।।


भावार्थ- जो गरीब होकर भी कीमती वस्तु की कामना करता है और शक्तिहीन होने पर भी क्रोध करता है वह अपने शरीर को सुखाने के लिये काम करते हैं।

############ ॐ ###############

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