गुरुवार, 3 जून 2010

श्री राम क्रष्ण परमहंस # 3

############ ॐ ###############

ईश्वर के संबंध मे हममे से जो जैसी धारणा रखता है, बस वही उसकी सीमा है, ऐसा हम कभी ना सोचे | हम इस बात को हरदम याद रखे कि जो हम अनुवभ कर रहे है, वह उसका रूप है सही , पर इस रूप को छोडकर उसके और कोई रूप नही है यह बात हम कभी न सोचे , हम कभी उसकी इति न करे |

############ ॐ ###############

कोई टिप्पणी नहीं: