सोमवार, 28 जून 2010

श्रीगुरुग्रंथ साहिब # 3

############ ॐ ###############

पर का बुरा न राखहु चीत।
तम कउ दुखु नहीं भाई मीत।


भावार्थ - दूसरे के अहित का विचार मन में भी नहीं रखना चाहिये। दूसरे के हित का भाव रखने वाले मनुष्य के पास कभी दुःख नहीं फटकता।

############ ॐ ###############

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