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रुखी सुखी खाइ के , ठंडा पाणी पीउ |
फरीदा देखि पराई चोपडी ,ना तरसाए जीउ||
भावार्थ - है फरीद ! अपनी कमाई की रुखी सुखी खाकर ठंडा पनी पी ले; पराई स्वादिष्ट रोटी देखकर अपना मन ना तरसा|बंदगी करने वाले इंसान को परमात्मा का नाम सभी पदार्थो से अधिक प्यारा लगता है|उसका जीवन संतोष वाला होता है| अपनी हक की कमाई के सामने वह बेगाने बढिया पदर्थो की भी परवाह नही करता |
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