सोमवार, 16 मई 2011

शिव वंदना

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कर्पूरगौरम करुणावतारम संसारसारं भुजगेंद्रहारम |
सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि ||


भावार्थ - कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले ,करुणा के साक्षात् अवतार, इस असार संसार के एकमात्र सार, गले में भुजंग की माला डाले, भगवान शंकर जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय कमलों में सदा सर्वदा बसे रहते हैं ,हम उन देवाधिदेव की वंदना करते हैं !!

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नमामि देवं वरदं वरेण्यम , नमामि देवं च सनातनम |
नमामि देवाधिपमीश्वरम हरे , नमामि शम्भुम जगदैकबन्धुम ||


भावार्थ - सब को निःसंकोच वर देने वाले, देवताओं में सर्व श्रेष्ठ ,सब देवताओं समस्त सृष्टि के पालन हारे शंकर शिव शम्भु को मैं प्रणाम करता हूँ !

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