सोमवार, 26 अगस्त 2013

रामचरित मानस # 12

############ ॐ ###############
अमल अचल मन त्रोन समाना | सम जम नियम सिलीमुख नाना ||
कवच अभेद बिप्र गुरु पूजा | एही सम बिजय उपाय न दूजा ||५||


भावार्थ -

निर्मल (पाप रहित ) और अचल (स्थिर) मन तरकस के समान है | शम (मनका वश में होना) [अहिन्सादी] यम और [शोचादि ] नियम- ये बहुत से बाण है | ब्राह्मणों और गुरु का पूजन अभेध्य कवच है | इसके समान विजय का दूसरा उपाय नहीं है |
 ############ ॐ ###############

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