############ ॐ ###############
अमल अचल मन त्रोन समाना | सम जम नियम सिलीमुख नाना ||
कवच अभेद बिप्र गुरु पूजा | एही सम बिजय उपाय न दूजा ||५||
भावार्थ -
निर्मल
(पाप रहित ) और अचल (स्थिर) मन तरकस के समान है | शम (मनका वश में होना)
[अहिन्सादी] यम और [शोचादि ] नियम- ये बहुत से बाण है | ब्राह्मणों और गुरु
का पूजन अभेध्य कवच है | इसके समान विजय का दूसरा उपाय नहीं है |
############ ॐ ###############
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें