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सन्सार मे रहो ,इसमे कोई आपत्ति नही है | यदि भगवान को पकड़ कर संसार मे रहोगे तो संसार का दोष तुम्हारा स्पर्श नही करेगा | जिस बालक का हाथ पिता ने स्वयं पकड रखा हो , या जिसे वह गोद मे उठाकर ले जा रहा हो उसे भय नही है | वह अनायास हाथो से ताली बजाते हुये जा सकता है | और जो बालक स्वयं पिता का हाथ पकड कर चल रहा हो उसके गिर पडने का भय बना रहता है | कभी अन्यमनस्क होकर हाथ से ताली बजाते हुये शायद गिर पडे | उनका अबलंवन करो , उनका भार उन पर छोड दो |
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