गुरुवार, 6 अगस्त 2015

कबीर वाणी # 7

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कुटिल बचन नहिं बोलिये, शीतल बैन ले चीन्हि
गंगा जल शीतल भया, परबत फोड़ा तीन्हि।।

संत कबीरदास जी कहते हैं कि कुटिल वचन न बोलते हुए मधुर शब्दों का चयन करना चाहिये। जिस तरह गंगा जल शीतल होकर पहाड़ भेद देता है वैसे ही शीतल वचन मनुष्य की शक्ति होते हैं जो उसे सफल बनाते हैं।

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