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जब हम होते तब तू नाही, अब तू ही मैं नाही ।
अनल अगम जैसे लहरि मइ ओदधि, जल केवल जल माही ||
भावार्थ - है
माधौ ! जब तक हम जीवो के अंदर अहंकार रहता है तब तक तू प्रकट नहीं होता ,
पर जब तू प्रत्यक्ष होता है तब हमारा मैं दूर हो जाता है । जैसे बड़ा तूफ़ान
आने पर समुद्र लहरो से नकानक भर जाता है पर असल में वे लहरे समुद्र के पानी
में पानी ही है , वैसे ही सभी जीव जंतु तेरा अपना ही विकास है |
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