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तात तिनी अति प्रबल खल काम क्रोध अरु लोभ |
मुनि बिज्ञान धाम मन करही निमिष महू क्षोभ ||
लोभ के इच्छा दंभ बल काम के केवल नारी |
क्रोध के परुष बचन बल मुनिबर कहही बिचारी ||
भावार्थ
- हे तात ! काम, क्रोध और क्षोभ - ये तीन अत्यंत प्रबल दुष्ट है | ये
विज्ञान के धाम मुनियों के भी मनों को पल भर में क्षुब्ध कर देते है | लोभ को इच्छा और दंभ का बल है, काम को केवल स्त्री का बल है और क्रोध को
कठोर वचनों का बल है | श्रेष्ठ मुनि ऐसा विचार कर के कहते है |
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