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सभना मन माणिक ,ठाहणु मुलि मचांगवा |
जे ताउ पिरीआ दीसिक, हिआउ न ठाहे कहीदा ||
भावार्थ - सभी जीवो के मन मोती है, किसी को भी दुखाना बिलकुल अच्छा नही | यदि
तुझे प्यारे प्रभु को मिलने की इच्छा है तो किसी का दिल न दुखा ||
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