सोमवार, 29 अगस्त 2016

मनुस्मृति # 4

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स्वराष्ट्रे न्यायवृत् स्याद् भृशदण्डश्च शत्रुषु।
सहृत् स्वजिह्मः स्निगधेषु ब्राह्मणेषु क्षमान्वितः।।

भावार्थ - राजा को चाहिए कि वह प्रजा के शत्रुओं को उग्र दंड दे। प्रजा के मित्रों से सौहार्दपूर्ण तथा राज्य के विद्वानों से उदारता के साथ ही क्षमा का व्यवहार करे।

############ ॐ ###############

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