############ ॐ ###############
अकीर्ति विनयो हन्ति हन्त्यनर्थ पराक्रमः।
हन्ति नित्यं क्षमा क्रोधमाचारो जन्तयलक्षणाम्।।
भावार्थ - जो मनुष्य अपने अंदर विनय भाव धारण करता है उसके अपयश का
स्वयमेव ही नाश हो जाता है। पराक्रम से अनर्थ तथा क्षमा से क्रोध का नाश
होता है। सदाचार से कुलक्षण से बचा जा सकता है।
############ ॐ ###############
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें