############ ॐ ###############
यदि सन्तं सेवति यद्यसन्तं तपस्विनं यदि वा स्तेनमेव।
वासो तथा रंगवश्र प्रयानि तथा तेषा वशमभ्युवैति।।
भावार्थ - जैसे कोई वस्त्र जिस रंग में रंगा जाये, वैसा ही हो जाता है उसी तरह जब कोई सज्जन आदमी किसी तपस्वी, दुष्ट या चोर की सेवा करता है तो उनके वश में हो जाता है-उनका रंग उस पर चढ़ता है।
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यदि सन्तं सेवति यद्यसन्तं तपस्विनं यदि वा स्तेनमेव।
वासो तथा रंगवश्र प्रयानि तथा तेषा वशमभ्युवैति।।
भावार्थ - जैसे कोई वस्त्र जिस रंग में रंगा जाये, वैसा ही हो जाता है उसी तरह जब कोई सज्जन आदमी किसी तपस्वी, दुष्ट या चोर की सेवा करता है तो उनके वश में हो जाता है-उनका रंग उस पर चढ़ता है।
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