मंगलवार, 6 जून 2017

कबीर वाणी # 9

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कबीर तहां न जाइये, जहां कपट का हेत।
जानो कली अनार की, तन राता मन सेत।

भावार्थ -  वहां कभी न जायें जहां कपट का प्रेम मिलता हो। ऐसे कपटी प्रेम को अनार की कली की तरह समझें जो उपरी भाग से लाल परंतु अंदर से सफेद होती है। कपटी लोगों का प्रेम भी ऐसा ही होता है वह बाहर तो लालित्य उड़ेलते हैं पर उनके भीतर शुद्ध रूप से कपट भरा होता है।

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