############ ॐ ###############
कबीर न तहां न जाइये, जहां जु नाना भाव।
लागे ही फल ढहि पड़े, वाजै कोई कुबाव।।
भावार्थ - संत शिरोमणि कबीरदास का कहना है कि वह कभी न जायें जहां नाना प्रकार के भाव
हों। ऐसे लोगों से संपर्क न कर रखें जिनका कोई एक मत नहीं है। उनके संपर्क
से के दुष्प्रभाव से हवा के एक झौंके से ही मन का प्रेम रूपी फल गिर जाता
है।
############ ॐ ###############
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें