शनिवार, 19 दिसंबर 2020

स्वामी विवेकानन्द

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बडे-बडे दिग्गज बह जायेंगे। छोटे-मोटे की तो बात ही क्या है! तुम लोग कमर कसकर कार्य में जुट जाओ, हुंकार मात्र से हम दुनिया को पलट देंगे। अभी तो केवल मात्र प्रारम्भ ही है। किसी के साथ विवाद न कर हिल-मिलकर अग्रसर हो -- यह दुनिया भयानक है, किसी पर विश्वास नहीं है। डरने का कोई कारण नहीं है,  भय किस बात का? किसका भय? वज्र जैसा हृदय बनाकर कार्य में जुट जाओ।

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गुरुवार, 24 सितंबर 2020

विदुर नीति

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सर्वतोर्थेषु वा स्नानं स्र्वभूतेषु चार्जवम्।
उभे त्वेते समेस्यातामार्जवं वा विशिष्यते।।

भावार्थ - अनेक जगह तीर्थों पर स्नान करना तथा प्राणियों के साथ कोमलता का व्यवहार करना एक समान है। कोमलता के व्यवहार का तीर्थों से अधिक महत्व है।

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मंगलवार, 22 सितंबर 2020

कबीर वाणी # 11

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कबीर न तहां न जाइये, जहां जु नाना भाव।
लागे ही फल ढहि पड़े, वाजै कोई कुबाव।।


भावार्थ  - संत शिरोमणि कबीरदास का कहना है कि वह कभी न जायें जहां नाना प्रकार के भाव हों। ऐसे लोगों से संपर्क न कर रखें जिनका कोई एक मत नहीं है। उनके संपर्क से के दुष्प्रभाव से हवा के एक झौंके से ही मन का प्रेम रूपी फल गिर जाता है।

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बुधवार, 1 अप्रैल 2020

शेख बाबा फरीद जी

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फरीदा मै जानिया दुखु मुझ कू, दुखु सवाइये जगि|
ऊंचे चडि कै देखिया , तां घरि घरि एहा अगि||

भावार्थ -  है फरीद ! मै पहले मन की खाईयो से पैदा हुये दुख से घबराकर यह समझा कि दुख सिर्फ मुझे ही है | सिर्फ मै ही दुखी हूं, पर असल मे यह दुख तो सारे ही जगत मे व्याप्त हो रहा है | जब मैने अपने दुख से उंचा उठकर ध्यान दिया तो मैने देखा कि प्रत्येक घर मे यही आग जल रही है अर्थात प्रत्येक जीव दुखी है|
 
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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

आचार्य रजनीश 'ओशो' # 3

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तुम शरीर को ही 'मैं' मान लेते हो और तब तुम पीड़ा पाते हो।  अहंकार वह सब कुछ है जो तुम नहीं हो और तुम सोचते हो की तुम हो। अहंकार सदा दुःख में ले जाता है। जब तुम स्वभाव की सुनते हो , यह बात तुम्हे स्वास्थ्य की ओर ले जाती है।  संतोष की ओर , मौन की ओर , आनंद की ओर |


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गुरुवार, 30 जनवरी 2020

माँ सरस्वती वंदना

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शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥


भावार्थ - शुक्लवर्ण वाली,संपूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान्‌ बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूं|

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सोमवार, 6 जनवरी 2020

सरस्वती प्रार्थना

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या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।


या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥


भावार्थ - जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की है और जो श्वेत वस्त्र धारण करती है, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली सरस्वती हमारी रक्षा करें ॥


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