मंगलवार, 20 जनवरी 2015

भर्तृहरि शतक #1

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ऐश्वर्यस्य विभूषणं सुजनता शौर्यस्य वाक्संयमो ज्ञानस्योपशमः श्रुतस्य वित्तस्य पात्रे व्ययः।
अक्रोधस्तपसः क्षमा प्रभवितुर्धर्मस् निव्र्याजता सर्वेषमपि सर्वकारणमिद्र शीलं परं भूषणम्||

भावार्थ - सज्जनता ऐश्वर्य का, संयम शौर्य का, ज्ञान शांति का, शास्त्र का विनय भाव आभूषण है। उसी धन का सदुपयोग करने से है। तपस्या का महत्व अक्रोध से तो, प्रभुत्व की शोभा क्षमादान से है। धर्म की शोभा निष्कपटता से प्रदर्शित होती है। इनमें भी सदाचार सभी आभूषणो का आभूषण है।

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