मंगलवार, 3 मार्च 2015

श्री राम क्रष्ण परमहंस # 8

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जब ईश्वर के प्रति परिपुर्ण प्रेम हो जायेगा , तब व्यक्ति के लिये किसी साधना की आवश्यकता ही नही होगी | तब न किसी आचार का प्रयोजन रहेगा, न जप-तप का, न विधि नियम का , न कठोर अनुशासन का | तब तो भक्त केवल आस्वादन लेकर रहेगा. भगवान को लेकर आनन्द मनायेगा|

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