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जाति पांति कुल धर्म बड़ाई | धन बल परिजन गुण चतुराई ||
भगति हीन नर सोहई कैसा | बिनु जल बारिद देखिअ जैसा ||
भावार्थ - जाति, पाति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुंब, गुण और चतुरता- इन सब के होने पर भी भक्ति से रहित मनुष्य कैसा लगता है, जैसे जलहीन बादल दिखाई पड़ता है |
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