सोमवार, 13 जुलाई 2015

रामचरित मानस # 14

  ############ ॐ ###############

जाति पांति कुल धर्म बड़ाई | धन बल परिजन गुण चतुराई ||
भगति हीन नर सोहई कैसा | बिनु जल बारिद देखिअ जैसा ||


भावार्थ -  जाति, पाति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुंब, गुण और चतुरता- इन सब के होने पर भी भक्ति से रहित मनुष्य कैसा लगता है, जैसे जलहीन बादल दिखाई पड़ता है |


 ############ ॐ ###############

कोई टिप्पणी नहीं: