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जंत्र मंत्र सब झूठ है, मति भरमो जग कोय।
सार शब्द जानै बिना, कागा हंस न होय।।
भावार्थ - इस संसार में जंत्र मंत्र सब झूठ है और
इनसे बुद्धि भ्रमित हो जाती है। जब तक शब्द का ज्ञान न हो तब तक कोई
मनुष्य वैसे ही ज्ञानी नहीं बन सकता जैसे कि कौआ कभी हंस नहीं बन सकता।
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