बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

आचार्य रजनीश 'ओशो' # 1

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 शुद्धता का अर्थ होता है - तुम्हारी स्वभाविकता , जैसे कि तुम हो - दुसरो के द्वारा प्रभावित नहीं , प्रदूषित नहीं।  किसी को आदर्श मत बनाओ।  कोई किसी दूसरे जैसा नहीं हो सकता। प्रत्येक का अपना अनूठा ढंग होता है , और वही है शुद्धता।  तुम्हारे अपने अस्तित्व का अनुसरण करना , तुम्हारा स्वयं जैसा हो जाना शुद्धता है ।
प्रेम करो बुद्ध /जीजस या कोई और महानात्मा से , उनके अनुभवो द्वारा समृद्ध बनो , पर प्रभावित मत हो जाना।  प्रेम करो , सुनो , आत्मसात करो , पर अनुकरण मत करो।  ग्रहण करो जो कुछ तुम ग्रहण कर सकते हो , लेकिन सदा ग्रहण करना तुम्हारे स्वभाव के अनुसार।
तुम्हे तुम्हारे अपने मार्ग से ही चलना होगा।  जो कुछ तुम ले सकते हो ,  ले लेना , लेकिन बढ़ना अपने मार्ग पर ही।


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