############ ॐ ###############
सबरु एहु सुआउ , जे तुं बंदा दिडु करहि |
वधि थीवहि दरीआउ, टुटि न थीवहि वाहडा ||
भावार्थ - है मनुष्य ! यह संतोष ही जिंदगी का वास्तविक निशाना है , यदि तुम सब्र को ह्रदय मे द्रढ कर ले तो तुम बढकर दरिया हो जाओगे , पर कम होकर छोटा सा तुच्छ नाला नही बनोगे अर्थात संतोष वाला जीवन बनाने से तुम्हारा दिल विशाल होकर दरिया हो जायेगा , तेरे दिल मे सारे जगत के लिये प्यार पैदा हो जायेगा . तेरे अंदर संकीर्णता नही रह जायेगी|
############ ॐ ###############
सबरु एहु सुआउ , जे तुं बंदा दिडु करहि |
वधि थीवहि दरीआउ, टुटि न थीवहि वाहडा ||
भावार्थ - है मनुष्य ! यह संतोष ही जिंदगी का वास्तविक निशाना है , यदि तुम सब्र को ह्रदय मे द्रढ कर ले तो तुम बढकर दरिया हो जाओगे , पर कम होकर छोटा सा तुच्छ नाला नही बनोगे अर्थात संतोष वाला जीवन बनाने से तुम्हारा दिल विशाल होकर दरिया हो जायेगा , तेरे दिल मे सारे जगत के लिये प्यार पैदा हो जायेगा . तेरे अंदर संकीर्णता नही रह जायेगी|
############ ॐ ###############
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें