शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

श्री रामकृष्ण परमहंस # 11

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जलराशी मे यदि एक लाठी रखी जाये , तो ऐसा प्रतीत होता है मानो जल के दो भाग हो गये , पर वास्तव मे जल जैसा था वैसा ही रहता है , केवल लाठी के रहने से दो भाग हुये से दिखायी देते है | उसी प्रकार 'मै' - बुद्धि के रहने से ही ऐसा प्रतीत होता है कि मेरा व्यक्तित्व अलग हो गया है | अब उस अहं की लाठी को उठा लो तो वही एक जल रह जायेगा | 'मै' को हटा लो तो 'मै एक अलग ' और ' वह एक अलग' , ऐसा विभाग नही रह जायेगा | अहं की यह लाठी है, लाठी उठा लो , वही एक जल बना रहेगा

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