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नवधा भक्ति -
१. श्रवण भक्ति - भगवान के नाम , रूप, गुण तथा लीलाओ को प्रभाव सहित सुनना - राजा परीक्षित
२. कीर्तन भक्ति - भगवान के नाम , रूप, गुण तथा लीलाओ को वाणी से उच्चारण करना या दुसरो के प्रति कहना - सुकदेव जी , नारद जी
३. स्मरण भक्ति - भगवान के नाम , रूप, गुण तथा लीलाओ का मन से चिंतन करना - ध्रुव , प्रह्लाद
४. पादसेवन भक्ति - प्रभु के चरणों की सेवा - भरत , लक्ष्मण
५. अर्चन भक्ति - प्रभु के स्वरूप की मानसिक या पार्थिव धातु आदि की मूर्ति की गुण तथा प्रभाव सहित पूजा - पृथु , अम्बरीष
६. वंदन भक्ति - नमस्कार तथा प्रणाम करना - अक्रूर , भीष्म
७. दास्य भक्ति - दास भाव से आज्ञा पालन करना - लक्ष्मण , हनुमान
८. सख्य भक्ति - सखा भाव से उनके अनुकूल चलना - अर्जुन , उद्धव
९. आत्मनिवेदन भक्ति - सर्वस्व अर्पण करना - बलि
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नवधा भक्ति -
१. श्रवण भक्ति - भगवान के नाम , रूप, गुण तथा लीलाओ को प्रभाव सहित सुनना - राजा परीक्षित
२. कीर्तन भक्ति - भगवान के नाम , रूप, गुण तथा लीलाओ को वाणी से उच्चारण करना या दुसरो के प्रति कहना - सुकदेव जी , नारद जी
३. स्मरण भक्ति - भगवान के नाम , रूप, गुण तथा लीलाओ का मन से चिंतन करना - ध्रुव , प्रह्लाद
४. पादसेवन भक्ति - प्रभु के चरणों की सेवा - भरत , लक्ष्मण
५. अर्चन भक्ति - प्रभु के स्वरूप की मानसिक या पार्थिव धातु आदि की मूर्ति की गुण तथा प्रभाव सहित पूजा - पृथु , अम्बरीष
६. वंदन भक्ति - नमस्कार तथा प्रणाम करना - अक्रूर , भीष्म
७. दास्य भक्ति - दास भाव से आज्ञा पालन करना - लक्ष्मण , हनुमान
८. सख्य भक्ति - सखा भाव से उनके अनुकूल चलना - अर्जुन , उद्धव
९. आत्मनिवेदन भक्ति - सर्वस्व अर्पण करना - बलि
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