############ ॐ ###############
यह शरीर भगवान का मन्दिर है तथा इस मन्दिर मे भगवान की प्रतिष्ठा करना ही हमारा उद्देश्य है | इसिलिये उसे स्वस्थ , सुन्दर, और सबल रखना होगा | और जो यह नही करता वह अपनी दुर्बलता का परिचय देता है| उसकी यही दुर्बलता उसे अधिकाधिक कष्टप्रद अवस्था मे ले जाती है|
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यह शरीर भगवान का मन्दिर है तथा इस मन्दिर मे भगवान की प्रतिष्ठा करना ही हमारा उद्देश्य है | इसिलिये उसे स्वस्थ , सुन्दर, और सबल रखना होगा | और जो यह नही करता वह अपनी दुर्बलता का परिचय देता है| उसकी यही दुर्बलता उसे अधिकाधिक कष्टप्रद अवस्था मे ले जाती है|
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